कोरोना वायरस से पहले यह 8 वायरस भी कर चुके हैं दुनिया को हैरान

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कोरोना वायरस इस समय सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ अन्य देश और संस्थाएं भी इस महामारी से निपटने के तरीके खोज रहे हैं और इस पर नज़र भी बनाये हुए हैं। इस समय इस महामारी से बचने का कोई विकल्प नज़र नहीं आ रहा है। हालांकि कोई स्थायी उपचार न होने के कारण लॉकडाउन और सामाजिक दूरी को इसके अस्थायी विकल्प के रूप में लागू किया गया है।
मानव समाज ने ऐसे खतरों का पहले भी सामना किया है। इस उम्मीद में कि हम वर्तमान भी इस महामारी पर विजय पा लेंगे पढ़ते हैं इतिहास के इन 8 विषाणुओं के बारे में जिनसे हम पहले भी लड़ चुके हैं या लड़ रहे हैं:

1. इबोला वायरस

इबोला वायरस रोग (ईवीडी), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में एक दुर्लभ लेकिन गंभीर और घातक बीमारी है। वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मनुष्यों में एक-दूसरे से भी फैलता है। औसत ईवीडी मामले की मृत्यु दर लगभग 50% है। इसके पिछले मामलों ​​में मृत्यु दर 25% से 90% तक रही है। यह माना जाता है कि फल खाने वाले चमगादड़ इबोला वायरस के होस्ट हैं। यह वायरस पहली बार 1976 में सामने आया था।

2. मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस रोग एक अत्यधिक वायरल बीमारी है जो रक्तस्रावी बुखार का कारण बनती है। इसकी मृत्यु दर 88% तक रहती है जो एक घातक अनुपात है। यह वायरस इबोला वायरस परिवार से ही संबंधित है। 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट तथा सर्बिया के बेलग्रेड में यह दोहरे बड़े प्रकोप के रूप में सामने आया।

3. हंता वायरस

हंता वायरस चूहों से फैलता है। अगर कोई इंसान चूहों के मल-मूत्र या लार को छूने के बाद अपने चेहरे पर हाथ लगाता है तो हंता से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। हंता संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों में पानी भरने के साथ उसे सांस लेने में तकलीफ़ भी हो सकती है। हंता वायरस में मृत्युदर 38 फ़ीसदी होती है और इस बीमारी का कोई 'स्पेसिफिक ट्रीटमेंट' नहीं है।

4. लस्सा वायरस

इसे पहली बार 1950 के दशक में वर्णित किया गया था, मगर लस्सा रोग पैदा करने वाले वायरस की पहचान 1969 तक नहीं की जा सकी थी। वायरस अरेना वायरस परिवार से संबंधित है। लगभग 80% लोग जो लस्सा वायरस से संक्रमित हो जाते हैं उनके कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं।

5. रेबीज वायरस

यह घातक वायरस संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। रेबीज आमतौर जानवर के काटने से फैलता है। कुत्ते रेबीज से होने वाली मौतों के मुख्य कारण हैं, जो मनुष्यों में रेबीज संक्रमण के 99% तक के लिए जिमेवार हैं। संदिग्ध जानवरों द्वारा काटे गए लोगों में 40% तक 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे होते हैं।

6. स्मालपोक्स, वेरिओला वायरस के कारण

चेचक एक संक्रामक बीमारी थी जो दो वायरस वेरिएंट, वेरिओला मेजर और वेरिओला माइनर के कारण होती है। स्वाभाविक रूप से होने वाली इस बीमारी का अक्टूबर 1977 में निदान किया गया था, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 1980 में इस बीमारी के वैश्विक उन्मूलन को प्रमाणित किया था। इस बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु का जोखिम लगभग 30% था, शिशुओं में अधिकतर के साथ। अक्सर जो लोग बच जाते थे उनकी त्वचा पर घाव हो जाते थे, और कुछ अंधे हो जाते थे।

7. डेंगू वायरस

डेंगू वायरस एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। ये मच्छर ज़िका, चिकनगुनिया और अन्य वायरस भी फैलाते हैं। दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में डेंगू आम है। हर साल 400 मिलियन लोग डेंगू से संक्रमित हो जाते हैं और 22,000 लोग डेंगू से मर जाते हैं।

8. इन्फ्लूएंजा वायरस

इन्फ्लूएंजा वायरस के 4 प्रकार होते हैं, ए, बी, सी और डी। इन्फ्लुएंजा ए और बी वायरस से फैलते हैं और मौसमी महामारी का कारण बनते हैं। यह अब तक के सबसे खतरनाक वायरस में से है। 1918 में स्पेनिश फ्लू को आम तौर पर मानव इतिहास में सबसे बुरी महामारियों में से एक माना जाता है, जिसने दुनिया की 20 से 40 प्रतिशत आबादी को संक्रमित किया था और केवल दो वर्षों में 50 मिलियन लोगों की जान ले ली थी।
2009 में 'ए' प्रकार के अंतर्गत आने वाले H1N1 ने महामारी का रूप ले लिया था। इसने अपने पहले साल में दुनिया भर में 4,00,000 लोगों की जान ले ली थी।
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